कविता राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने का सशक्त माध्यम : मित्तल
नगर संवाददाता
चंडीगढ़, 10 जून। राष्ट्रीय कवि संगम, दिल्ली के सौजन्य से एक काव्य गोष्ठी का आयोजन 10-ए, हीरा नगर, पटियाला में किया गया जिसमें मुख्य अतिथि वाइस चेयरमैन, महाराजा अग्रसेन मेडिकल कालेज, अग्रोहा जगदीश मित्तल ने शिरकत की एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि नरेश ‘नाज़’ ने की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर दिल्ली से पधारे धर्मवीर सिंगल विद्यमान रहे। मंच संचालन गज़लकार सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने किया।
कार्यक्रम के शुभारंभ में कवि दीपक खेतरपाल के काव्य संग्रह ‘पानी में आग’ पर चर्चा की गयी। इस पर पर्चा पढ़ते हुए सुशील ‘हसरत’ नरेलवी ने अपने विचार कुछ यूं व्यक्त किये, ‘पानी में आग’ के कथ्य में जहां एक ओर गर्त में धंसते मानव मूल्य, भ्रष्टïाचार में डूबा सियासी जमावड़ा, दिनोंदिन मानवीय कुकृत्यों में उलझी, बिलखती इनसानियत, संस्कृति, संस्कारों से विमुखता, तिरस्कृत वृद्धावस्था, खौफ के साये में पलते जीवन का चित्रण देखने को मिलता है, वहीं दूसरी ओर कवि की कलम असहाय की पीड़ा भी बांटना चाहती है। शैली व्यंग्यात्मक है तो सहज, सरल किंतु काव्यानुरूप भाषा में लयबद्धता का आभास भी होता है।’
तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का प्रारंभ कवि कविंद्र ‘चांद’ की पंजाबी गज़ल से हुआ। तदुपरांत दिल्ली से आयी कवयित्री महक भारती ने ‘मेरी सोच के परिंदे को ऐसी उड़ान दे दे, कवि हरीश ने ‘खेतों को बंजर न बनाओ, बैलों को जोतो हल चलाओ, कविता सुनाई।
मुख्यातिथि जगदीश मित्तल ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम एक ऐसा मंच है जो देशभर की सभी भाषाओं के कवियों को एक मंच पर लाने का कार्य कर रहा है। कविता जन-जन में राष्ट्रीय चेतना की भावना जगाने का एक सशक्त माध्यम है। कविता समाज को दिशा, संस्कार देने, राष्ट्र जागरण के लिए लिखी जानी चाहिए व लेखन में देशभक्ति और परिवारों को जोडऩे की बात हो।